Monday, May 20, 2013

पर्वत और नदी

पर्वत बोला नदी से -
नदी नदी ही होती है
वह केवल नीचे ही गिर सकती है
चाहे श्रृष्टि ही परिवर्तित
 क्यों न हो जाये
वह कभी
 ऊपर नहीं चढ़ सकती 
नदी केवल नदी ही होती है 
वह पहाड़ पर नहीं चढ़ सकती 

नदी बोली पहाड़ से -
माना कि नदी नदी होती है
वह पहाड़ पर नहीं चढ़ सकती
पर, पहाड़ के मस्तक को चीर के
जब नीचे आती है तो
अपनी ही नहीं ,
तुम्हारी भी ,
दुनिया बसाती है !

तुम्हे अहंकार है -
अपने होने का ,
दूसरों को मिटा के,
ख़ुद को खोजने का
मै कहती हूँ -
तुम कुछ भी नहीं हो
जहाँ खड़े थे , वहीँ खड़े हो
और बस -
अपनी ज़िद पर अड़े हो
खड़े हो
अड़े हो
बस अड़े ही रहोगे
तुम्हारे गिरते ही तुम्हारा
वज़ूद ख़त्म हो जायेगा
लेकिन-
तुम्हारे नीचे दबे अवशेषों का
महत्व बढ़ जायेगा 
लेकिन -

तुम मिट्टी के भाव भी नहीं बिकोगे
सिमट कर , मेरी ही दुनिया में
ख़ुद को खोजोगे .......
हाँ मै नदी हूँ !!
नदी ही रहूंगी
कभी उस, पर्वत पर
नहीं चदुंगी
जिसे अहंकार है 
अपने अस्तित्व पर
घमंड है ख़ुद के होने पर ....

हाँ मै नदी हूँ ,
नदी ही रहूंगी
नदी ही रहूंगी !!!

Monday, May 6, 2013

बुरे ही सही ......

बात हम जो भी करेंगे , करेंगे सही 
आपको अच्छी लगे या लगे बुरी
सच बात यदि आपको लगती है बुरी
लेकिन जनाब हम तो कहेंगे सही 


लोग यहाँ चन्दे के नाम पर धंधा करते हैं
बिन बात के बिकने के बहाने ढूंढते हैं
हम तो फिर भी सच कह कर अगाह करते हैं
वरना लोग यहाँ अपनों से झूठ बोलते है 


 इसलिए सच सुनने का दम रखिये 
जो ख़रीदार है उनसे कुछ न खरीदिये 
जनाब दिल भी बड़े  काम की चीज़ है
सुनना है तो उसकी आवाज़ सुनिए 


दिल की आवाज़ में अदृष्य  शक्ति होती है
वो हमें अच्छा बुरा बताती है
सामने वाले के इरादों को भांप जाती है
हक़ीकत के दर्शन मुफ़त में कराती है 

इसलिए .......मेरी बात सुनिए क्योकि
हम जो भी कहेंगे कहेंगे सही .बात 
आपको अच्छी लगे या लगे बुरी
सच बात यदि आपको लगती है बुरी
लेकिन जनाब हम तो कहेंगे सही 

Sunday, May 5, 2013

..आवरण ........

यहाँ सच्चाई को और ईमानदारी  को पूछता कौन  है ?
जो सच है वो भगवान् है, उसे पूजता कौन है ?
यहाँ आदमी से आदमी डरा है, इस कदर
सच जानता पर ज़ुबान, खोलता कौन है ?

कहने को हम भी रखते हैं ज़ुबान डेढ़ गज़ की
बोलने को हम भी बोल सकते हैं बात सबकी
लेकिन ज़नाब हमको भी परवाह है आपकी
इसीलिए हम पोल नहीं खोलते हैं, आपकी 

अब सोचते हैं कब तक चलेगा यह सिलसिला
जो सच है वही सच है तो काहेका फिर गिला
सच्चाई को समझिये हक़ीकत को देखिये
ये आवाम की आवाज़ है , मुहं न मोड़िये 

ख़ुदा  गवाह है जब - जब भी अँधेरा  हुआ है
लेकिन  उसके बाद सवेरा ही हुआ है
इसलिए रौशनी को सामने से देखिये
बीच की दीवार को हटा करके  देखिये 

सच हमेशा सच नहीं होगा
झूट हमेशा झूट नहीं होगा
फर्क बस नज़रिए का होगा
जो आवरण का धोखा होगा ..................




Saturday, April 6, 2013

समय होत बलवान .......


कहते है- 
 समय होत बलवान ।
समय के हाथ न पाव ।
तो प्यारे देशवासियों !!!
जागो !
इस धरती पर सभी चीजो का समय है -
जो आपसे पूछ कर नहीं आता 
और न  
 आपसे पूछ कर जाता है -----------
उसकी मर्ज़ी के आगे 
 आपकी अर्ज़ी ,
 काम नहीं आती  अगर 
वक्त निकल जाये 
इसलिए 
मुफ़्त की सलाह लीजिये और 
काम पर चलिए -------
क्योंकि 
सही समय पर किये गए काम की 
सही कीमत होती है और 
ग़लत समय पर किये गए सही काम 
की कोई कीमत नहीं होती ।
इसलिए समय को पहचानिए 
क्या उपयुक्त है?
और क्या 
अनुपयुक्त ?
क्योंकि समय होत बलवान भैया समय होत बलवान । .

जागो भारत जागो !!

मेरे देश में कुछ ऐसे भी लोग है .........
जो.
न जाने  ख़ुद को क्या समझते है,
ख़ुद पर जब भरोसा नहीं,
 तो  दूसरो को ग़लत समझते है ।
उनको अब यह समझना होगा,
 दूसरो के चश्मे पर  नहीं,
 अपनी आँखों पर,
 एतबार करना होगा।
क्योंकि
 जब धूमिल आवरण हटेगा,
 तभी सच से  सामना होगा,
तभी  सच का सामना होगा।

जागो ! भारत जागो !!!   


Tuesday, March 26, 2013

होली मुबारक

हर बार की तरह आया 
रंगों का त्योहार 
क्यों ???
गिनती के  दो-चार 
रंग ही 
बिकते है बाज़ार ???
क्या रंगों को ही 
बस कहते है 
होली का त्योहार 
फिर क्या कहेंगे ???
जीवन को ???
जिसके है रंग 
हज़ार 
मुबारक हो सभी 
पाठकों को 
होली का त्योहार 
जो सबके जीवन 
में लाये खुशियों 
का